शिमला समझौता: भारत की ऐतिहासिक गलती या रणनीतिक धैर्य? – अब समय है पुनर्विचार का
1972 में भारत ने जीत के बावजूद पाकिस्तान से शिमला समझौता किया। जानिए कैसे भारत ने निभाया वादा, पर पाकिस्तान ने किया धोखा।
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3 जुलाई 1972 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ शिमला समझौता (Shimla Agreement) भारत के लिए एक ऐसी कूटनीतिक पहल थी, जिसे दुनिया ने शांति के प्रतीक के रूप में देखा। परंतु, भारत के उदार और जिम्मेदार व्यवहार का बार-बार फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने इस संधि को केवल कागज़ का दस्तावेज़ बना दिया।
आज जब पाकिस्तान ने स्वयं शिमला समझौते को "निरर्थक" घोषित किया है, यह ज़रूरी है कि भारत इसकी वास्तविकता, इतिहास और भविष्य के परिणामों पर खुले तौर पर विचार करे।
1️⃣ क्या है शिमला समझौता (What is the Shimla Agreement)?
यह एक द्विपक्षीय समझौता था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद हुआ।
इसका उद्देश्य था:
युद्धविराम की पुष्टि
विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से दूर रहना
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत को प्राथमिकता देना।
2️⃣ कब और कहाँ हुआ शिमला समझौता?
तारीख: 2-3 जुलाई 1972
स्थान: शिमला, हिमाचल प्रदेश
हस्ताक्षरकर्ता:
भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
पाकिस्तान की ओर से जुल्फिकार अली भुट्टो
3️⃣ क्यों हुआ शिमला समझौता (Why did Shimla Agreement Happen)?
1971 के युद्ध में भारत ने:
93000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया
पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
इन भारी जीतों के बावजूद भारत ने शांति की पहल करते हुए पाकिस्तान से एक द्विपक्षीय समझौता किया, ताकि भविष्य में संघर्ष न हो। यह भारत की रणनीतिक परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय दबाव को संतुलित करने का प्रयास था।
परंतु, यहीं पर सवाल उठता है: क्या पाकिस्तान ने उस भरोसे को निभाया?
4️⃣ समझौते के मुख्य प्रावधान (Key Provisions of the Shimla Agreement)
LOC (Line of Control) की मान्यता – जो युद्धविराम रेखा से तय हुई।
द्विपक्षीयता की शर्त – कोई भी विवाद तीसरे पक्ष के माध्यम से नहीं सुलझाया जाएगा।
शांति और सम्मानपूर्वक व्यवहार – एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान।
5️⃣ भारत ने निभाया, पाकिस्तान ने तोड़ा (India’s Commitment vs Pakistan’s Violations)
भारत ने:
LOC का हमेशा सम्मान किया
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी द्विपक्षीय वार्ता को प्राथमिकता दी
सैनिकों को बिना शर्त वापस भेजा
पाकिस्तान ने:
बार-बार LOC पर संघर्ष विराम उल्लंघन किया
Kargil जैसे हमलों से समझौते की भावना को तोड़ा
आतंकवाद को पाल-पोस कर भारत में निर्यात किया
कश्मीर मुद्दे को बार-बार संयुक्त राष्ट्र तक ले गया
पाकिस्तान ने शिमला समझौते को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
6️⃣ शिमला समझौता रद्द होने पर क्या होगा असर?
भारत के लिए:
अब भारत पर कोई ‘द्विपक्षीय दबाव’ नहीं रहेगा।
LOC को अंतरराष्ट्रीय सीमा घोषित करने की दिशा में बढ़ सकती है प्रक्रिया।
पाकिस्तान के समर्थन वाले आतंक के खिलाफ खुली कार्रवाई की जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र या OIC जैसे मंचों पर पाकिस्तान की बोलती बंद की जा सकती है।
पाकिस्तान के लिए:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति-प्रयासों से दूरी का दोष मिलेगा।
भारत से संवाद की अंतिम कड़ी भी टूटेगी।
आर्थिक संकट, आतंकवाद और कूटनीतिक अलगाव में इजाफा होगा।
वैश्विक मंचों पर विश्वासनीयता घटेगी और FATF जैसी संस्थाएं सख्त होंगी।
7️⃣ विशेषज्ञों की राय
एन.एन. वोहरा (पूर्व राज्यपाल, J&K):
“भारत ने शिमला समझौते को निभाया, पर पाकिस्तान ने इसे कूड़े की टोकरी में डाला।”
शशि थरूर (पूर्व विदेश सचिव):
“भारत को अब उस समझौते से बंधे रहने की ज़रूरत नहीं जिसे सामने वाला देश ही नहीं मानता।”
8️⃣ शिमला समझौते के ऐतिहासिक परिणाम
1971 युद्ध के बाद:
भारत के लिए: सैन्य और कूटनीतिक जीत
पाकिस्तान के लिए: भारी हार और देश का विभाजन
समझौते की भावना:
भारत के लिए: उदारता और शांति का प्रतीक
पाकिस्तान के लिए: एक रणनीतिक अवसर जिसे उसने बार-बार इस्तेमाल किया
LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल):
भारत के लिए: सीमाओं का स्पष्ट निर्धारण और मान्यता
पाकिस्तान के लिए: बाद में कारगिल युद्ध के जरिए LOC का उल्लंघन
कश्मीर मुद्दा:
भारत के लिए: द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल निकालने पर ज़ोर
पाकिस्तान के लिए: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को मुद्दा बनाना और भारत की छवि खराब करने का प्रयास
❓FAQs (प्रश्न-उत्तर)
Q1: शिमला समझौता क्यों हुआ?
A: 1971 युद्ध के बाद स्थायी शांति के लिए भारत ने पाकिस्तान से द्विपक्षीय समझौता किया।
Q2: क्या भारत ने समझौते का पालन किया?
A: हां, भारत ने LOC और बातचीत के सभी सिद्धांतों का सम्मान किया।
Q3: पाकिस्तान ने क्या उल्लंघन किया?
A: LOC पर संघर्ष विराम उल्लंघन, Kargil युद्ध, और आतंकवाद को समर्थन।
Q4: शिमला समझौता खत्म होने से भारत को क्या लाभ होगा?
A: अब भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलकर पाकिस्तान की करतूतों को उजागर कर सकता है।
Q5: क्या यह भारत-पाक संबंधों को और बिगाड़ेगा?
A: पाकिस्तान ने पहले ही रिश्तों को बिगाड़ दिया है। अब भारत को अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए।
निष्कर्ष: अब निर्णायक कदम का समय है
शिमला समझौता भारत की ओर से शांति और परिपक्वता की पेशकश थी। पर पाकिस्तान ने इसे कमजोरी समझा। अब जब उन्होंने खुद इस समझौते को खत्म करने का ऐलान कर दिया है, भारत को भी इस ‘एकतरफा शांति सौदे’ से मुक्त हो जाना चाहिए।
"जिसने समझौते को हथियार बना लिया, उससे कूटनीतिक संबंध नहीं, स्पष्ट जवाब ज़रूरी है।"